स्व. ब्रम्हदेव गिरि स्वतन्त्रता संग्राम के सभी आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया | महात्मा गाँधी के द्वारा निर्देशित पश्चिम चम्पारन के आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाए ॥ सन् 1942 से 1947 (15 अगस्त) तक अपने साथियों के साथ अंग्रेजों से विभिन्न मोर्चो पर जूझते रहे | इसी दौरान पकड़े जाने पर 20 कोड़ो की सजा एवं जेल भी गए |
स्वतंत्रता संग्राम मेँ स्व. ब्रम्हदेव गिरि जी की उल्कृष्ठ भागीदारी देखते हुए तात्कालिक प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँथी ने सन् 1971 में 15 अगस्त के दिन विशिष्ट समारोह में इन्हे “ताम्र पत्र" देकर सम्मानित किया | राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के तरफ से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन आजीवन प्राप्त करते रहे | स्व. ब्रम्हदेव गिरि समाजिक क्षेत्र में भी उल्कृष्ठ कार्य किया | ग्राम की सर्वप्रथम प्राथमिक पाठशाला एवं पंचायत भवन की नीव एवं निर्माण इनकी उपलब्धि रही है ॥ लगातार 40 वर्षो लक ग्राम के प्रधान रहे एवं समाजिक सुधारों के प्रेरणाश्रोत रहे | दिनांक 13.04 .2005 को इनका स्वर्गवास हुआ |